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मन में दर्द, हंसी चेहरे पर...

  मन में दर्द, हंसी चेहरे पर ये कैसा संवेदन है? जीवन की सारी सुविधाओं से, क्या ये ही परिमार्जन है ? आंसू से भीगी पलकें और , उन्हें छुपाती एक मुस्कान जीवन के कैसे पहलू का, जाने ये उदाहरण है। जीवन यांत्रिक बना इस तरह, संवाद नहीं, संकेतन है। खोई सारी मानवता, बढ़े भले संसाधन हैं । जीवन जीने की खातिर, सिद्धांत ज़रूरी नहीं रहे। सभ्यता के स्वर्णिम पृष्ठों का हुआ यहाँ संपादन है। सरल हृदय न मिले कहीं पर, छल से भरे यहां मन हैं। कपट की क्षमता से होता, बुद्धिचातुर्य का मापन है। जीवन की परिभाषा बदली, बदली गये हैं सोच विचार। आने वाली किसी लहर से, पहले का उद्घोषण है।                  ~नेहा दशोरा