कणिकाएं–४
सातों रंग हैं सूरज के,
चुनने की शक्ति तेरी है।
रेशा–रेशा जीवन को,
बुनने की शक्ति तेरी है।
आंसू तेरे जग का कलंक,
मुस्कान है तो है जहां।
घुट–घुट मरेगी तो बता,
कैसे जिएगी ये दुनिया?
तू मुक्ति है, तू भक्ति है,
तू युक्ति है, तू शक्ति है।
तू सक्षम है, कर सामना,
दुनिया में तू जी सकती है ।
– नेहा दशोरा
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