कणिकाएं–५

अंधेरे चीरना मुश्किल ही होता है,

मगर इंसां इसके काबिल भी होता है।

अगर बना रक्खो हौंसला तो,

फलक इसमें शामिल भी होता है।


झिझकता है, हिचकता है, डरता है, सहमता है,

अपने आप को झुठला मुखौटे वो पहनता है।

अगर चाहे वो मन से तो तूफां को मिटा डाले,

रखे ख़ुद पे भरोसा तो समंदर को सुखा डाले।


~नेहा दशोरा 

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