धरणी की तरह होना...
धरणी की तरह होना,
और धीर नहीं खोना।
चुक जाएं अगर खुशियां,
तुम फिर से फसल बोना।
और धीर नहीं खोना।
चुक जाएं अगर खुशियां,
तुम फिर से फसल बोना।
धरणी की तरह होना,
और ओज नहीं खोना।
बर्बाद भी हो जाओ,
तुम फिर से चमन होना।
बर्बाद भी हो जाओ,
तुम फिर से चमन होना।
धरणी की तरह होना,
शुचिता को नहीं खोना।
लाख कपट छल हो,
तुम तो पावन होना।
शुचिता को नहीं खोना।
लाख कपट छल हो,
तुम तो पावन होना।
धरणी की तरह होना,
और आंच नहीं खोना।
शीतल भी बने रहना,
और आंच नहीं खोना।
शीतल भी बने रहना,
अंतर में दहन होना।
धरणी की तरह होना,
और सांच नहीं खोना।
कितनी हो बली मिथ्या,
तुम सत्य के सम होना।
कितनी हो बली मिथ्या,
तुम सत्य के सम होना।
धरणी की तरह होना,
और राह नहीं खोना।
चलते-चलते जाना,
फिर भी अचल होना।
चलते-चलते जाना,
फिर भी अचल होना।
~नेहा दशोरा
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