छोटे या बड़े?

तुम्हारे गर्व छोटे हैं, छोटे हैं तुम्हारे सुख। तुम्हारे दर्प छोटे हैं, छोटे हैं तुम्हारे दुख। हैं सोचें भी बहुत छोटी, मन भी है तेरा छोटा। तेरी धरती भी छोटी है, गगन भी है तेरा छोटा। है छोटापन भी बातों में, हंसी में और ठहाकों में। तुम्हारी गूंज है छोटी, है छोटापन धमाकों में। तुम्हारे रंग छोटे हैं, तुम्हारे ढंग छोटे हैं। तुम्हारे साथ छोटे हैं, तुम्हारे संग छोटे हैं। तुम्हारी दृष्टि है छोटी, तुम्हारी सृष्टि है छोटी। तुम्हारे परदे छोटे हैं, तुम्हारी पुष्टि है छोटी। बड़े होने का मतलब है, नहीं पदवी बड़ी पाना। बड़े होने का मतलब है, नहीं पैसा कमा पाना। बड़ा होता है इंसां जब कि, वो रखता बड़ा दिल है। बड़ा होना नहीं आसां, बड़ा होना ही मुश्किल है। बड़ा होता नहीं इंसां, फ़क़त उम्रें बड़ी करके। बड़ा होना नहीं होता, इमारत ही खड़ी करके। बड़ी सोचें ज़रा रखना, बड़े अभ्यास भी करना। बड़ा रखना इस ज़ेहन को, बड़े आभास भी करना। सुनो ऊंचे ज़रा उठना, औ खुद से रू-ब-रू होना। बनाना खुद को यों बेहतर, कि एक दिन सुर्ख़रू होन...