वे लोग...
वे लोग थे,
हीरे से।
सशक्त और दीप्त,
उत्कृष्ट और उद्दीप्त।
वे लोग थे,
सागर से।
अथाह और गंभीर,
और न खोते धीर।
वे लोग थे,
वृक्षों से।
करुण और उदार,
मन में परोपकार।
वे लोग थे,
संगीत से।
मधुर और सुखद,
भुला देते थे विपद।
वे लोग थे,
कथाओं से।
रोचक और अमूल्य,
इसलिये थे अतुल्य।
वे लोग थे,
गगन से।
अनंत और उदात्त,
विचारों से विराट।
वे लोग थे,
पर्वत से।
अडिग और विशाल,
सदा ही ऊंचा भाल।
वे लोग थे,
पवन से।
पछुवा या पुरवाई,
सदैव शांतिदायी।
वे लोग थे,
विश्वास से।
गहन और घनीभूत,
भरोसा ज्यों अटूट।
वे लोग थे,
रंगों से।
चटक और चंचल,
हर एक का संबल।
वे लोग थे,
उड़ान से।
ऊंचे और उन्मुक्त,
चेतना से युक्त।
~नेहा दशोरा
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