बेटियाँ


हम बेटियाँ ईश्वर का वरदान होती हैं, 

हम बेटियाँ तो नूर ए-जहाँ होती हैं। 

दुनिया की सबसे बड़ी खुशी हम ही तो हैं, 

इसलिए तो हम खुशी की खान होती हैं।


हम बेटियाँ कभी तो शुभ समाचार होती हैं,

और कभी आँसू वाली कटार होती हैं। 

वक्त कभी आए तो हम से भी कहना, 

हम ही तो लक्ष्मीबाई का प्रहार होती हैं


हम बेटियाँ सिर्फ आँखों का पानी नही हैं, 

हमारा होना यूँ ही बेमानी नहीं है। 

एक बार हमको आज़मा के देखिए, 

इस जहाँ में हमारा कोई सानी नहीं है।


हम बेटियाँ तो हर घर की जान हैं,

आपकी आरजू, तमन्ना और शान हैं,

घर की जीवंतता हैं हम, घर का प्राण हैं,

हमारे बिना घर बस एक मकान है।


आगे बढ़ते रहने की हम में एक ललक है, 

पैरों में है, जमीं आँखों में फलक है। 

बढ़ रहे हैं आगे अब तलक तो हम, 

और अब भी ऊँचाई पर हमारी पलक है।


इस इच्छा इस ललक को आकार देना है, 

एक ठोस धरातल एक आधार देना है। 

आप सबका स्नेह और दुलार चाहिए,

एक मूर्ति को रक्त का संचार देना है।

                                    ~नेहा दशोरा 

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