मन-बल तेरी ढाल है
जीवन को मन भर के जीना
सबसे बड़ा कमाल है।
जीवन को खुलकर ना जीना,
ये भी बड़ा बवाल है।
अपने मन की भी कर लेना,
अगर न कोई हर्जा हो।
ख़ुद को भी शामिल कर लेना,
जब खुशियों का चर्चा हो।
जीते जी क्या जी भी पाए?
सबसे बड़ा सवाल है।
ये करते या वो करते,
समय बीत ही जाएगा।
आयुष भरा ये नन्हा घट,
यों भी रीत ही जाएगा।
अभिलाषाएँ हैं अगणित,
पर क्षण मिले उधार हैं।
कभी पटखनी, कभी उछाल,
जीवन दंगल ही तो है।
कठिन समय में एक तसल्ली,
ये भी संबल ही तो है।
तुझको हिम्मत रखनी होगी,
जबकि तू बेहाल है।
चंचलता है मन की आदत,
बंधन तो है जग की रीत।
कर्ण भेदते जगत राग में,
गाते रहना मन का गीत।
जीवन के हर एक रण में,
मन-बल तेरी ढाल है।
समय की सीखें भी अमूल्य हैं,
और अमूल्य जग का हर पाठ।
हर दिन नया तजुर्बा है,
हर दिन नई सबक की गांठ।
सीखो तो ये अनुभव हैं,
सोचो तो जंजाल है।
मन ही ज़ख्मों का मरहम,
मन ही छुरी कटार है।
मन ही नाव डुबा डाले,
मन ही बेड़ा पार है।
घोर निराशा के जंगल में,
मन ही तेरी मशाल है।
मन ही तेरी सम्हाल है।
मन-बल तेरी ढाल है।
~ नेहा दशोरा
बहुत अच्छा
ReplyDeleteबहुत खूब अति उत्तम
ReplyDeleteNice, Motivational
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