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Showing posts from June, 2022

तेरे जमीं आसमां

तेरी ज़मीं आसमां तू ही है,  तेरी खुशी कहकहा तू ही है। तेरा हर आंसू है तेरी बदौलत, तू ही है दुनिया में तेरी दौलत। तू जो रुके, तेरी दुनिया रुकेगी, गर चल पड़े, तुझे मंज़िल मिलेगी। तेरा भरोसा है तेरी ताकत,  तेरी ज़िद ही है तेरी हिम्मत। थाम के अपना हाथ तू चलना,  'औ' गिर पड़े तो फिर से सम्हलना। राहों में तेरी शूल भी होंगे, चुन लेना कुछ फूल भी होंगे। तेरे दर्द हैं तुझको ही सहना,  अपने गम बस खुद से कहना।  तेरी आहे हैं तेरी अमानत,  तेरी है बस, तेरी खिलखिलाहट।   तेरे सपनों की जान है तू, ख़्वाबों की ऊंची उड़ाने है तू।  तू ही है एक तेरा सहारा हैं,  तुझ सा न कोई होगा दोबारा। – नेहा दशोरा 

मैं भी हूं

मेरे सपने काट-छांट कर तेरे सपने बनते हैं। मेरी आंखो की छलनी से तेरे आंसू छनते हैं।  मेरे अरमानों के जब तुम पंख बांध कर उड़ते हो,  आंसू और मुस्कानों में, युद्ध कई तब ठनते हैं। तेरी आंखों के प्याले जब आंसू छलकाने लगते हैं,  मेरे मन के सारे अरमां, एक ठिकाने लगते हैं। मेरे श्रम को सेतु बना, जब तुम आगे बढ़ जाते हो।  मन खुश हो ना पाता है, हम भी गम खाने लगते हैं। कोई बात तुम्हें चुभ जाती है तो, मेरा मन बुझ जाता है।  और तुम्हें हंसाने की कोशिश में हर आँसू चूक जाता है।  फिर भी तुम मेरी खुशियों की कद्र नहीं कर पाते हो तो,  मन के कोने से फूट पड़ा, उल्लास कहीं रुक जाता है। मेरी सारी बातों में बस तेरा किस्सा होता है।   मेरी हर एक ख्वाहिश में तेरा भी हिस्सा होता है।  एक तो दर्द दिये जाता है, दूजा दर्द पिये जाता है,  लेकिन सच्चा स्नेह अगर हो, दर्द भी एक सा होता।   ना केवल खुशियां बंटती है, गम में भी हिस्सा होता है। – नेहा दशोरा 

कणिकाएं–४

सातों रंग हैं सूरज के, चुनने की शक्ति तेरी है। रेशा–रेशा जीवन को, बुनने की शक्ति तेरी है। आंसू तेरे जग का कलंक, मुस्कान है तो है जहां। घुट–घुट मरेगी तो बता, कैसे जिएगी ये दुनिया? तू मुक्ति है, तू भक्ति है, तू युक्ति है, तू शक्ति है। तू सक्षम है, कर सामना, दुनिया में तू जी सकती है । – नेहा दशोरा 

कणिकाएं–३

 टूटन, बिखरन, रूठ, मनावन,  कितना छोटा जीवन है। तुम कहते हो जीवन उधड़न,  मैं कहती हूं सीवन है। –नेहा दशोरा

कणिकाएं –२

कितने फन कुचल के आगे बढ़ी है वो, हर वार से संभल के देखो खड़ी है वो। उसके जो कर्ज़ हैं, कैसे चुका सकोगे? जब जंग थी तुम्हारी डट कर लड़ी है वो। –नेहा दशोरा

कणिकाएं –१

कतरा–कतरा बढ़ता जीवन, लम्हा–लम्हा घटता है। सांसों की गिनती होती है, कर्मों का फल बंटता है। धूप–छांव का खेल ज़िंदगी, कभी है सहरा, कभी घटा। इंसां एक लड़ाका है जो, गिर–गिर के फिर उठता है। –नेहा दशोरा

Slow Down...

Slow down and look around. Slow down and hold your ground. Slow down to introspect. Slow down, and be found  Slow down and rewind. Slow down for peace of mind.  Slow down and think in depth. Slow down, you'll find your kind  Slow down, just don't hurry. Slow down and don't worry.  Slow down a little bit. Slow down. Hey! Why flurry?  Slow down and catch a breath  Slow down when life taketh, A groovy turn, Slow down and just have faith. Slow down take in the clime. Slow down let the wind chime. Slow down on all the hustle. Slow down, and take your time. Slow down and take a chill. Slow down, when the climb's uphill.  Slow down when you ought to. Slow down but don't be still.  Slow down when you can't run more. Slow down if your feet are sore.  Slow down when you can't take it. Slow down, you'll reach your shore. Sooner or later, y ou'll be there. Just slow down. - Neha Dashora

पुनरावृत्ति

फिर–फिर लौट के आना, फितरत है मौसम की। रुक जाना है  प्रलय... फिर–फिर चलते जाना, आदत है सांसों की। रुक जाना है  अंत... फिर–फिर बढ़ते जाना, चाहत है कदमों की। रुक जाना है पराजय... फिर–फिर खिलते जाना, रौनक है बगिया की। झड़ जाना है नियति... – नेहा दशोरा